भगवान चित्रगुप्त पूजा हिंदू धर्म में विशेष रूप से कायस्थ समाज के लोगों के लिए काफी महत्व रखती है। यह पूजा दीपावली के दो दिन बाद भाई दूज के दिन होती है और इस दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा की जाती है, जो कर्मों के लेखा-जोखा रखने वाले देवता माने जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन चित्रगुप्त भगवान की पूजा करने से सुख-समृद्धि, तरक्की और बुद्धि में बढ़ोत्तरी होती है।
भगवान चित्रगुप्त: कायस्थ समाज के आराध्य देव
भगवान चित्रगुप्त को कायस्थ समाज का संस्थापक माना गया है। उनके आशीर्वाद से व्यक्ति को बुद्धि, विद्या और लेखन के क्षेत्र में सिद्धि प्राप्त होती है। चित्रगुप्त को लेखनी और ज्ञान का देवता माना जाता है, जो हर व्यक्ति के कर्मों का हिसाब रखते हैं और मृत्यु के बाद उसके कर्मों के आधार पर स्वर्ग या नर्क में स्थान तय करते हैं। इसलिए उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए कायस्थ समाज सहित अन्य समुदाय के लोग भी इस दिन विशेष पूजा करते हैं।
चित्रगुप्त पूजा 2024 शुभ मुहूर्त
अखिल भारतीय कायस्थ महासभा पंजी 2150 नई दिल्ली के राष्ट्रीय संयोजक मनीष श्रीवास्तव ने बताया “इस साल चित्रगुप्त पूजा 3 नवंबर 2024 को मनाई जाएगी। पूजा के लिए इस दिन का शुभ मुहूर्त सुबह 07:57 बजे से दोपहर 12:04 बजे तक है। पूजा के दौरान कलम, दवात और बही खाता का पूजन विशेष रूप से किया जाता है।पूरे देश और विदेश में कायस्थ समाज और भगवान चित्रगुप्त जी को मानने वाले सभी लोगो विधिवत रूप से भगवान चित्रगुप्त जी की पूजा करते है /
पूजा में कलम-किताब की पूजा का क्या है महत्व?
चित्रगुप्त पूजा के दिन विशेष रूप से कलम, दवात और बही खाता की पूजा का विधान है। उनकी पूजा में कलम और किताब का महत्व बढ़ जाता है। मान्यता है कि इस दिन पूजी गई कलम और किताब का उपयोग करने से दैवीय सहायता प्राप्त होती है और वह कलम सिद्ध हो जाती है।
क्या है पूजा विधि?
पंचोपचार पूजा विधि से कलम की पूजा करें। पंचोपचार में कलम को साफ करके उस पर चंदन, अक्षत, फूल, धूप और दीप अर्पित करें।
भगवान चित्रगुप्त का ध्यान करते हुए उनसे प्रार्थना करें कि वह आपको सही लेखन का आशीर्वाद दें।
दीपावली पर पूजी गई किताब में इस कलम से स्वास्तिक का चिह्न बनाएं और “श्री गणेशाय नमः” ओम श्री चित्रगुप्ताय नमः लिखकर गणेश जी और भगवान चित्रगुप्त जी को प्रणाम करें। इससे वह पुस्तक शुभ और सिद्ध हो जाती है।
अब इस कलम का उपयोग अपने कार्यों में करें। मान्यता है कि इससे किए गए लेखन से सफलता प्राप्त होती है।
चित्रगुप्त पूजा के दिन शुरू होता है नया बहीखाता
दीपावली के दिन व्यापार में नए बही खाता बदले जाते हैं और चित्रगुप्त पूजा के दिन उस नए बही खाते पर काम शुरू किया जाता है। इस नए खाते पर प्रथम पृष्ठ पर स्वास्तिक का चिन्ह अंकित कर “श्री गणेशाय नमः” लिखने से यह खाता शुभ और लाभकारी बनता है।
भगवान चित्रगुप्त जी की आरती और स्तुति नीचे दिये गये है

भगवान श्री चित्रगुप्त जी की आरती
ॐ जय चित्रगुप्त हरे,
स्वामीजय चित्रगुप्त हरे ।
भक्तजनों के इच्छित,
फलको पूर्ण करे!
विघ्न विनाशक मंगलकर्ता,
सन्तनसुखदायी ।
भक्तों के प्रतिपालक,
त्रिभुवनयश छायी ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥
रूप चतुर्भुज, श्यामल मूरत,
पीताम्बरराजै ।
मातु इरावती, दक्षिणा,
वामअंग साजै ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥
कष्ट निवारक, दुष्ट संहारक,
प्रभुअंतर्यामी ।
सृष्टि सम्हारन, जन दु:ख हारन,
प्रकटभये स्वामी ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥
कलम, दवात, शंख, पत्रिका,
करमें अति सोहै ।
वैजयन्ती वनमाला,
त्रिभुवनमन मोहै ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥
विश्व न्याय का कार्य सम्भाला,
ब्रम्हाहर्षाये ।
कोटि कोटि देवता तुम्हारे,
चरणनमें धाये ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥
नृप सुदास अरू भीष्म पितामह,
यादतुम्हें कीन्हा ।
वेग, विलम्ब न कीन्हौं,
इच्छितफल दीन्हा ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥
दारा, सुत, भगिनी,
सबअपने स्वास्थ के कर्ता ।
जाऊँ कहाँ शरण में किसकी,
तुमतज मैं भर्ता ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥
बन्धु, पिता तुम स्वामी,
शरणगहूँ किसकी ।
तुम बिन और न दूजा,
आसकरूँ जिसकी ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥
जो जन चित्रगुप्त जी की आरती,
प्रेम सहित गावैं ।
चौरासी से निश्चित छूटैं,
इच्छित फल पावैं ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥
न्यायाधीश बैंकुंठ निवासी,
पापपुण्य लिखते ।
‘नानक’ शरण तिहारे,
आसन दूजी करते ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे,
स्वामीजय चित्रगुप्त हरे ।
भक्तजनों के इच्छित,
फलको पूर्ण करे ॥
भगवान चित्रगुप्त स्तुति
जय चित्रगुप्त यमेश तव,
शरणागतम् शरणागतम् ।
जय पूज्यपद पद्मेश तव,
शरणागतम् शरणागतम् ॥
जय देव देव दयानिधे,
जय दीनबन्धु कृपानिधे ।
कर्मेश जय धर्मेश तव,
शरणागतम् शरणागतम् ॥
जय चित्र अवतारी प्रभो,
जय लेखनीधारी विभो ।
जय श्यामतम, चित्रेश तव,
शरणागतम् शरणागतम् ॥
पुर्वज व भगवत अंश जय,
कास्यथ कुल, अवतंश जय ।
जय शक्ति, बुद्धि विशेष तव,
शरणागतम् शरणागतम् ॥
जय विज्ञ क्षत्रिय धर्म के,
ज्ञाता शुभाशुभ कर्म के ।
जय शांति न्यायाधीश तव,
शरणागतम् शरणागतम् ॥
जय दीन अनुरागी हरी,
चाहें दया दृष्टि तेरी ।
कीजै कृपा करूणेश तव,
शरणागतम् शरणागतम् ॥
तब नाथ नाम प्रताप से,
छुट जायें भव, त्रयताप से ।
हो दूर सर्व कलेश तव,
शरणागतम् शरणागतम् ॥
जय चित्रगुप्त यमेश तव,
शरणागतम् शरणागतम् ।
जय पूज्य पद पद्येश तव,
शरणागतम् शरणागतम् ॥